क्या आप अजमेर सेक्स कांड के बारे में जानते हैं ?
अजमेर फाइल्स : एक-एक कर फार्महाउस पर बुलाई गई सैकड़ों लड़कियों का किया गया रेप
अजमेर : आज से तकरीबन 25 साल पहले आदमियों का एक गैंग अजमेर के गर्ल्स स्कूल सोफ़िया में पढ़ने वाली लड़कियों को फार्म हाउसों पर बुला-बुला कर रेप करता रहा और घरवालों को भनक तक नहीं लगी. रेप की गई लड़कियों में आईएएस, आईपीएस की बेटियां भी थीं. ये सब किया गया अश्लील फोटो खींच कर. पहले एक लड़की, फिर दूसरी और ऐसे करके सौ से ऊपर लड़कियों के साथ हुई ये हरकत. ये लड़कियां किसी गरीब या मिडिल क्लास बेबस घरों से नहीं, बल्कि अजमेर के जाने-माने घरों से आने वाली बच्चियां थीं. सोफ़िया अजमेर के जाने-माने प्राइवेट स्कूलों में से एक है।
फारूक चिश्तीनाम के आदमी ने पहले सोफ़िया स्कूल की एक लड़की को फंसाया. लड़की की अश्लील फोटो खींच ली. बाद में इस फोटो के जरिये ब्लैकमेल करके और लड़कियां बुलाई गईं. डर कर लड़की अपनी दोस्तों को भी फार्म हाउस ले जाने लगी. उसकी दोस्त अपनी और दोस्तों को. एक के बाद दूसरी, दूसरी के बाद तीसरी. ऐसे करके एक ही स्कूल की करीब सौ से ज्यादा लड़कियों के साथ रेप हुआ. घर वालों की नज़रों के सामने से ये लकड़ियां फार्म हाउसों पर जातीं।
कहते हैं कि बाकायदा गाड़ियां लेने आती थीं. और घरों पर छोड़ कर भी जातीं. लड़कियों की रेप के वक्त फोटोज खींच ली जातीं. फिर डरा-धमका कर और लड़कियों को बुलाया जाता. ये भी कहा जाता है कि स्कूल की इन लड़कियों के साथ रेप करने में नेता, सरकारी अधिकारी भी शामिल थे।
मास्टरमाइंड थे कांग्रेस यूथ लीडर
इस स्कैंडल के मास्टरमाइंड थे फारूक चिस्ती, नफीस चिस्ती और अनवर चिस्ती. तीनों ही यूथ कांग्रेस के लीडर थे. फारूक प्रेसिडेंट की पोस्ट पर था. इन लोगों की पहुंच दरगाह के खादिमों (केयरटेकर्स) तक भी थी। खादिमों तक पहुंच होने के कारण रेप करने वालों के पास राजनैतिक और धार्मिक, दोनों ही पॉवर थी। रेप की शिकार लड़कियां ज्यादतर हिंदू परिवारों से थीं।
अधिकारियों को लगा कि केस का खुलासा होने से इसे ‘हिन्दू-मुस्लिम’ नाम देकर दंगे हो सकते हैं। आगे चलकर ब्लैकमैलिंग में और भी लोग जुड़ते गये. आखिरी में कुल 18 ब्लैकमेलर्स हो गये. इन लोगों में लैब के मालिक के साथ-साथ नेगटिव से फोटोज डेवेलप करने वाला टेकनिशियन भी था।
इंडिया के सबसे बड़े सेक्स स्कैंडल में आने वाले इस केस ने बड़ी-बड़ी कोंट्रोवर्सीज की आग को हवा दी. जो भी लड़ने के लिए आगे आता, उसे धमका कर बैठा दिया जाता।
अजमेर मुहल्ला समूह NGO ने जब केस के लिए लड़ाई शुरू की तो जान से मारने की धमकी की वजह से एक्टिविस्ट्स ने हाथ पीछे खींच लिए. कहते हैं वकील पारसम शर्मा को भी केस बंद करने की धमकियां मिलीं. लड़कियों के घरवालों ने तो सामने आने से ही मना कर दिया था। एक के बाद एक मरती गई लड़कियां जिन लड़कियों की फोटोज खींची गई थीं, उनमें से कईयों ने सुसाइड कर लिया. एक ही साथ 6-7 लड़कियां मर गईं. न सोसाइटी आगे आ रही थी, न उनके परिवार वाले. डिप्रेस्ड होकर इन लड़कियों ने ये कदम उठाया. एक ही स्कूल की लड़कियों का एक साथ सुसाइड करना अजीब सा था. ये बात आगे चलकर केस को एक्सपोज करने में मददगार रही।
स्कैंडल का राज खोलने वाली दो लड़कियां पुलिस और महिला संगठनों की कोशिशों के बावजूद लड़कियों के परिवार आगे नहीं आ रहे थे. इस गैंग में शामिल लोगों के नेताओं से कनेक्शन्स की वजह से लोगों ने मुंह नहीं खोला. बाद में किसी NGO ने पड़ताल की. फोटोज और वीडियोज के जरिए तीस लड़कियों की शक्लें पहचानी गईं. इनसे जाकर बात की गई. केस फाइल करने को कहा गया. लेकिन सोसाइटी में बदनामी के नाम से बहुत परिवारों ने मना कर दिया. बारह लड़कियां ही केस फाइल करने को तैयार हुई. बाद में धमकियां मिलने से दस लड़कियां भी पीछे हट गई. बाकी बची दो लड़कियों ने ही केस आगे बढ़ाया. इन लड़कियों ने सोलह आदमियों को पहचाना. ग्यारह लोगों को पुलिस ने अरेस्ट किया।
1992 से अब तक क्या हुआ केस में केस से रिलेटेड कुछ बातें हैं जिनसे जाना जा सकता है कि क्या-क्या हुआ आरोपियों के साथ
1. 1992 में पूरे स्कैंडल का भांडा फूटा. लड़कियों से आरोपियों की पहचान करवाने के बाद आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया।
2. केस का पहला जजमेंट आया छः साल बाद. अजमेर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने आठ लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई।
3. इसी बीच फारूक चिस्ती ने अपना मेंटल बैलेंस खो दिया. जिसकी वजह से उसकी ट्रायल पेंडिंग हो गई।
4. बाद में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने चार आरोपियों की सजा कम करते हुए उन्हें दस साल की जेल भेज दिया. कहा गया कि दस साल जेल की सजा ही काफी है।