आईटीआई महाप्रबंधक को केंद्र सरकार द्वारा नए उत्पाद के लिए मनकापुर यूनिट को 3 हजार 9 सौ करोड़ रुपये का बजट मिला
गोण्डा(ब्यूरो रिपोर्ट) : आईटीआई मनकापुर के कर्मचारियों व अफसरों को एक बार फिर केंद्र सरकार ने संजीवनी के रूप में बजट आवंटित कर दिया है।आईटीआई महाप्रबंधक के मुताबिक नए उत्पाद के लिए यूनिट को 3हजार 9सौ करोड़ रुपये का बजट मिल चुका है।आगे भी कई प्रोजेक्ट है जिससे पुनः इस यूनिट को पहले की तरह बनाया जा सके जिससे जाएगा।
वर्ष 1984 में आईटीआई मनकापुर की स्थापना हुई। उस समय इसमें करीब 2200 कर्मचारी व अधिकारी कार्यरत थे। टेलीफोन बनाने वाली इस इकाई की हालत बजट के अभाव में धीरे-धीरे खस्ता होती गई। 2005 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने यहां आकर फ्रांस की एल्काटेल कंपनी के साथ बीटीएस निर्माण का उद्घाटन किया था। बीटीएस निर्माण शुरू हुआ, जो देश ही नहीं विदेश में निर्यात होने लगा।250 एकड़ में फैले टाऊनशिप व 100 एकड़ में इस औद्योगिक संस्थान में उत्पादन में कमी, आधुनिक मशीनों का न होना समेत कई वजहों से संस्थान में साल दर साल घाटा होता गया और प्रबंधन ने स्थिति सुधारने के लिए अपने उत्पादन, ग्राहक बढ़ाने के बजाय कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी। इनके वेतन और सुविधाओं में कमी कर दी । वर्तमान में हालत यह हो गई है कि यहां कुल 280 कर्मचारी व अधिकारी रह गए हैं जिन्हें समय से वेतन नही दिया जा रहा है।मनकापुर में आईटीआई एक उपहार था, जिसने छोटे से कस्बे के विकास में चार चांद लगा दिए और यहां की लाइफलाइन बन गया।लेकिन पिछले 20 सालों से लगातार हो रहे घाटे से इस बड़े संस्थान को ही लाइफ सपोर्ट की दरकार थी ऐसे में सरकार ने बीएसएनएल के 4जी के लिए ओडीसी(आउटडोर कैबिनेट) बनाने का कॉन्ट्रैक्ट देकर मनकापुर आईटीआई को संजीवनी दिया है।।
यूनिट हेड अजय राय ने बताया कि नए उत्पाद के लिए यूनिट को 3हजार 900 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट 4 जी ओडिसी उत्पादन के लिए मिला है जिसमे 2400 करोड़ का वर्क आर्डर कंपनी को मिल चुका है जिसका उत्पादन यूनिट में चल रहा है उत्पादन होने के बाद उन्हें भेजा जा रहा है।प्लांट में जल जीवन मिशन योजना में पड़ने वाली पाइप का निर्माण भी किया जा रहा है ऐसे ही कई प्रोडक्ट प्लांट में निर्मित किये जा रहे जिनसे कंपनी घाटे से उबर सकेगी।
खत्म हो गयी सुविधाएं
आईटीआई लिमिटेड मनकापुर के महामंत्री उमेश श्रीवास्तव का कहना है कि पहले यहाँ के कर्मचारियों को तमाम सुविधा दी जाती थी जैसे मेडिकल के किये लखनऊ तक बस का संचालन,गोण्डा,फैज़ाबाद के लिए प्रत्येक दिन बस की सुविधा,बच्चो को इंटर के बाद उच्च शिक्षा के लिए प्रत्येक दिन गोण्डा से के लिए बस, परिसर स्तिथि तीन स्कूल है उसमें कर्मचारियों के बच्चो की फीस न के बराबर होती थी।अब यह सभी सुविधायें खत्म कर दी गयी अब तो कर्मचारियों को बेतन के लिए भी कई महीनों इंतज़ार करना पड़ता है। कर्मचारियों के सेवा सुरक्षा व स्वास्थ्य सुरक्षा के भी भरोसेमंद उपाय नहीं रह गए हैं और कॉलोनी की सुरक्षा व्यवस्था भी मानकों के अनुरूप नहीं दिखाई पड़ती है।
आईटीआई मनकापुर की तरह ही आईटीआई नैनी, रायबरेली, बेंगलुरु, पालघाट और श्रीनगर में भी यूनिट्स हैं लेकिन इनमें से सबसे खराब स्थिति आईटीआई मनकापुर की है। अब इसे पुन: पटरी पर लाने के उपायों पर कर्मचारी नेता उमेश श्रीवास्तव का कहना है कि आईटीआई को कई कंपनियों का सहयोग मिल रहा है जिससे कई प्रोडक्ट का निर्माण यूनिट में किया जा रहा है अब प्रबंधन की नीतियो से लग रहा है जल्द ही आईटीआई पहले की तरह फिर सब सही हो जाएगा इसके लिए प्रबंधन ने नई तकनीक पर आधारित प्लांट में कई नई मशीनो को लगवाया है व योग्य लोगों की नियुक्तियों पर विचार कर रहा है जिससे निजी क्षेत्र से प्रतिस्पर्धा करते हुए बेहतर उत्पादन कर आईटीआई मनकापुर को फिर से डिजिटल सिटी ऑफ एशिया कहा जा सकता है।
परिसर में बने आवास हो चुके है जर्जर
आईटीआई कर्मचारियों व अधिकारियों के लिए 250 एकड़ में टाऊनशिप बनाई गई थी जैसे जैसे फैक्ट्री को नुकसान होता गया व कर्मचारियों की संख्या गटने से बने कमरे भी खाली रहने लगे जिससे टाऊनशिप में बने आवास जर्जर हो गए।अब प्रबंधन ने बाहरी लोगो को भी यहाँ रहने के लिए आवास देने की व्यवस्था की है परिसर में तीन स्कूल बने है जिसमे पड़ने वाले बच्चो के अभिभावकों को कम किराए पर आवास दिये जा रहे है ताकि आवासों की देखभाल हो सके और फैक्ट्री को आय भी आती रहे।
यूनिट में किये जा रहे प्रोडक्ट के निर्माण :
बीएसएनएल के 4जी नेटवर्क के लिए आउटडोर कैबिनेट, जल जीवन मिशन की पाइप, रेल वायर के राऊटर इंटरनेट वाई-फाई, टेलिकॉम डक्ट पाइप, टेबलेट, इनवर्टर, नोट काउंटिंग मशीन जल्द ही सोलर प्लेट का कार्य शुरू होना है व डिफेंस के साथ कुछ सुरक्षा उपकरण बनाने के लिए कंपनी का करार हुआ है उसका निर्माण भी यहाँ किया जाएगा।