गुजरे हुए जमाने की कहानी पेश है आपके सामने : चुनावी व्यंग
Parijat bharat
मिर्जापुर : पुराने ज़माने के एक मिठाईवाले के परिवार को बम्बईया फ़िल्म निर्माताओं की स्टाइल में चुनावी चक्कर की स्क्रिप्ट समझाई जा रही है कि उसे कैमरे के आगे सिर्फ यह बोलना है, 'पचास-पचपन साल पहले लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए जब दिवंगत नेता अटल बिहारी वाजपेयी जिले में आए थे तो उसकी ही दुकान का रसगुल्ला उन्हें खिलाया गया था । रसगुल्ला उन्हें इतना भा गया था कि हड़बड़ी में खाते समय रसगुल्ले का सीरा उनकी सदरी पर गिर पड़ा था। अटल जी बिना गिनती के रसगुल्ला सीधे कंठ के जरिए उदर की ओर प्रेषित कर देते रहे। अटल जी की स्थिति यह हो गई थी कि इसी रसगुल्ले के बल पर मिर्जापुर जिला उनके प्रचार के 'टॉप लिस्ट' में आ गया था। जब कभी चुनाव की बारी आती थी तो उसी की दुकान का रसगुल्ला मांगते थे। कोई न कोई कार्यकर्ता दौड़ के आता था और रसगुल्ला पैक कराकर ले जाता था।
'कौन कार्यकर्ता आता था?'
इस सवाल को किसी जांच आयोग के निष्कर्ष- हीन निर्णय की तरह पेंडिंग में डाल कर कैमरा ऑन कर दिया जा रहा है।
कैमरामैन इसक्ल्यूसिव वीडियो के लिए पूछता है, 'जरा ये बताओ कि कौन कार्यकर्ता रसगुल्ला ले जाता रहा' तो पहले से फ़िल्मी एक्टर की तरह प्रशिक्षित दुकानदार थोड़ी देर सोचता है, फिर बोलता है,'यह तो उसके पिता जी ही जानते थे।'
'पिता जी कहाँ हैं, जरा उन्हें बुलाओ', तो दुकानदार आगे बोलता है, 'वो भी इन दिनों स्वर्ग में अटल जी के पास चले गए। संयोग भी ऐसा कि जिस समय अटल जी बीमार हुए, उसी समय पिता जी भी बीमार हुए। जिस दिन दिवंगत हुए, उसकी अगली ही घड़ी पिता जी भी दिवंगत हो गए। लगता है कि अटल जी ने उन्हें अपने पास बुला लिया।'
कैमरामैन और सवाल-जवाब करता शख्स वीडियो को रसगुल्ले के सीरे की तरह रसीला बनाने के लिए अपने चेहरे को रसगुल्ला टाइप का फुला कर बोल पड़ता है, 'तब तो तुम्हारे पिता जी को स्वर्ग में जरूर 'रसगुल्ला-मंत्री' बनाकर अपने साथ रखते होंगे अटल जी।'
अब वीडियो का हेडिंग दिया गया 'सुरीले-चुटीले अटल का बीता हुआ कल'।वीडियो धड़ाधड़ सोशल- साइट पर रस बिखरने लगता है।
इसी तरह का स्क्रिप्ट इंदिरा गांधी, राजनारायण, कल्याण सिंह, मुलायम सिंह यादव आदि स्वर्गीय नेताओं के लेखक और पात्र तलाशे जा रहे हैं। 'कुछ गढ़ों और फ्रेम में मढ़ो ताकि वोटरों से कहा जा सके कि पुराने जमाने को जानो और पढ़ो।'
लोकसभा चुनाव प्रोमो स्क्रीन पर चलने लगा है। जिले में चुनावी महाभारत चक्रव्यू के 7वें फाटक तक पहुंचने में अभी विलंब है। 7 मई से नामांकन होगा लिहाज़ा 4/5 मई के पहले चुनावी हीरो-हीरोइनों (महानायक- महानायिका) का पता नहीं है, लिहाजा 'समय बिताने के लिए करना है कुछ काम' मुहावरे के तर्ज पर 'लो, गुजरा हुआ ज़माना आ गया है दुबारा' फ़िल्म लांच हो रहा है। अपने अनुसार कहानियां गढ़ी जा रही हैं। ऐसी कहानियों की डिमांड किसी नामी कम्पनी के शेयर की तरह खूब उछल रही है ।